रुद्रपुर। जिलाधिकारी उदयराज सिंह की अध्यक्षता में आज विकास भवन में हुई कृषक गोष्ठी में मक्का उत्पादक कृषकों एवं किसान संगठनों के पदाधिकारियों एवं वैज्ञानिकों को ग्रीष्मकालीन धान के विकल्प के रूप में मक्का की फसल को बढ़ावा दिये जाने पर चर्चा हुई जिसमें किसानों ने ग्रीष्म कालीन धान की खेती को कम करने की सहमति दी। उल्लेखनीय है कि जनपद में धन की तीन फसलें ली जाती है जिससे भूमि का जलस्तर नीचे जा रहा है और कीटों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। कीटों और बीमारियों से फसलों को बचाने की लिए अत्यधिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। इस कारण उत्पादित उत्पाद स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से काफी हानिकारक होता है|
बैठक के दौरान कृषकों द्वारा अवगत कराया गया कि सितारगंज के आस-पास के ग्रामों में मक्का फसल का उत्पादन विभागीय अधिकारियों के सहयोग से वर्ष 2017 से निरन्तर किया जा रहा है तथा उन्हें मक्का फसल का अच्छा मूल्य भी मिला है, लेकिन वर्ष 2020 में कोरोनाकाल के दौरान मक्का फसल का उचित मूल्य न मिल पाने के कारण उसके बाद से मक्का का क्षेत्रफल कम होता चला गया। वर्ष 2022-23 से पुनः मक्के के क्षेत्रफल में आंशिक वृद्धि हुई है। उन्होने कहा कि मक्का फसल की तुडाई/कटाई माह जून में होने से मजदूरों की कमी हो जाती है, उनका सुझाव था कि यदि विभाग द्वारा मक्का की कटाई हेतु कम्बाईन अनुदान पर मिल जाये तो इससे कृषकों को समय व धनराशि की बचत होगी। जिलाधिकारी उदयराज सिंह ने बताया की ग्रीष्मकालीन धान की जगह मक्के की खेती को बढ़ावा दिया जाए जिससे किसानों को मक्के का उचित मूल्य दिलाने के लिए कंपनियों से पहले ही समझौता किया जाएगा। इसके अतिरिक्त एथेनॉल कंपनियां के साथ भी समझौते के तहत उचित मूल्य दिलाने हेतु प्रशासन अपनी रानीत बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि गन्ने की फसल को बढ़ावा देकर भी ग्रीष्मकालीन धान की फसल का क्षेत्रफल काम किया जा सकता है ।