देहरादून। चम्पावत जिले के बनबसा में आपदा एवं राहत बचाव के लिए एसडीआरएफ की अतिरिक्त टीम की तैनाती की जाएगी। साथी पौड़ी जिले के पौड़ी, मेरठ राष्ट्रीय राजमार्ग पर आमसौड़ के पास लगातार हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की टीम मौके पर जाकर भूगर्भीय सर्वेक्षण करेगी और जल्द ही भूस्खलन क्षेत्र का उपचार किया जाएगा। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी पौड़ी दीपेश चंद्र काला ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन के साथ हुई बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जल्द भूगर्भीय अध्ययन कर उक्त भूस्खलन क्षेत्र में उपचार के कार्य शीघ्र करने के निर्देश दिए गए हैं। पौड़ी जिले के नेशनल हाइवे 534 में पौड़ी जनपद के अंतर्गत आमसौड़ में हो रहे भूस्खलन के उपचार के लिए उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की टीम मौके पर जाकर भूगर्भीय सर्वेक्षण करेगी।शनिवार को जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी पौड़ी दीपेश चंद्र काला ने बैठक में बताया कि जिन परिवारों को भूस्खलन से खतरा है, उन्हें अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया है। खतरे को देखते हुए सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने जल्द भूगर्भीय अध्ययन कर उक्त भूस्खलन क्षेत्र में उपचार के कार्य शीघ्र करने के निर्देश दिए। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने मानसून के चलते प्रदेशभर की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि मौसम विभाग ने चंपावत, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर में रविवार और सोमवार को बहुत भारी से अत्यंत भारी बारिश का पूर्वानुमान जताया है। वहीं पौड़ी और अल्मोड़ा में भारी से बहुत भारी वर्षा का पूर्वानुमान जताया है। उन्होंने संबंधित जनपदों के जिलाधिकारियों से वार्ता कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए। सचिव विनोद कुमार सुमन ने भारी बारिश के दौरान रिहायशी इलाकों में जलभराव की समस्या से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए ठोस रणनीति के तहत कार्य करने को कहा। उन्होंने कहा कि जलभराव एक बड़ी समस्या है और बरसात के दौरान बड़ी संख्या में लोगों के इससे प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जाए, जहां से बारिश का पानी आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश करता है और वहीं से पानी को किसी नाले या नदी की तरफ डायवर्ट कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से वनाग्नि के दौरान फायर लाइन बनाई जाती है, उसी तरह से जलभराव से निपटने तथा पानी को आबादी क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए वाटर लाइन बनाई जाएं। उन्होंने कहा कि यदि नालों में ब्लॉकेज के कारण जलभराव हो रहा है तो चौबीस घंटे के भीतर नालों की सफाई करना सुनिश्चित किया जाए।
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