बदरीनाथ। विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट गढ़वाल स्काउट रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच जय बदरीविशाल के उदघोष के साथ बैशाख मास शुक्ल पक्ष सप्तमी, पुष्य नक्षत्र में रविवार 4 मई को प्रातः 6 बजे खुल गए है। इस अवसर पर मंदिर को 40 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। कपाट खुलने के दिन दानदाता श्रद्धालुओं के साथ सेना व आईटीबीपी ने भंडारे आयोजित किए। सीमांत गांव माणा व बामणी की महिलाओं ने परंपरागत भक्तिमय नृत्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर हेलीकॉप्टर से मंदिर परिसर और श्रद्धालुओं पर फूलों की वर्षा की गई। रविवार को कपाट खुलने की प्रक्रिया प्रातः को चार बजे शुरू हुई। साढे चार बजे कुबेर जी ने दक्षिण द्वार से बदरीनाथ मंदिर परिसर में प्रवेश किया। पांच बजे रावल अमरनाथ नंबूदरी के सानिध्य में ठीक साढ़े पांच बजे से द्वार पूजा शुरू हुई। छह बजे बदरीनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इससे पहले माता लक्ष्मी ने मंदिर परिक्रमा स्थित मंदिर में प्रवेश किया। उद्वव जी, कुबेर जी व गरूड़ जी मंदिर गर्भ गृह में विराजमान हुए। जिसके बाद भगवान बदरीविशाल को ओढाया गया घृत कंबल अलग किया गया। श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीविशाल के निर्वाण दर्शन किए। पूर्वाह्न 10 बजे भगवान बदरीविशाल की अभिषेक पूजा शुरू हुई।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने देश विदेश के तीर्थयात्रियों को चारधाम यात्रा पर आने का आमंत्रण दिया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश और देश की समृद्धि व खुशहाली की कामना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से भगवान बदरीविशाल की पहली महाभिषेक पूजा की गई।
