रुड़की। भूकंप के कहर से लोगों को बचाने के लिए उत्तराखंड सरकार और आईआईटी रुड़की ने मिलकर एक नई तकनीक विकसित की है । यह तकनीक ‘भूदेव ऐप’ के जरिए भूकंप आने से पहले लोगों को सतर्क कर सुरक्षित होने का मौका देगी। राज्य के विभिन्न हिस्सों में 169 सेंसर और 112 सायरन लगाए गए हैं, जो भूकंप के शुरुआती झटकों को पकड़कर 15 से 30 सेकेंड पहले अलर्ट जारी करेंगे।
जब भूकंप आएगा और प्राइमरी तरंग निकलेगी तो उसका पता राज्य में अलग- अलग जगहों पर लगे सेंसर के माध्यम से लग जाएगा। इसके बाद ऐसी व्यवस्था की गई है, उसे तत्काल इंटरनेट के माध्यम से भूदेव एप और जगह- जगह पर सायरन तक सूचना चली जाए। इसके बाद भूदेव एप में चेतावनी देने वाली आवाज आयेगी, इससे करीब 15 से 30 तक सेकेंडरी तरंग आने से पहले सुरक्षित होने का समय मिल सकेगा। पर यह चेतावनी रियेक्टर स्केल पर 5 से अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर मिलेगी। यह भूदेव राज्य के भीतर ही काम करेगा। इस भूदेव एप को प्ले स्टोर व एप स्टोर के माध्यम से डाउन लोड कर सकते हैं। राज्य में राष्ट्रीय भूकंप जोखिम न्यूनीकरण योजना के तहत 169 सेंसर लगे हैं, इनकी संख्या बढ़ाकर 500 करने और सायरनाें की संख्या एक हजार तक करने की योजना है। इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को 150 करोड़ से अधिक का प्रस्ताव भेजा है। अगर आप उत्तराखंड में रहते हैं तो भूदेव एप को गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। यह एप भूकंप से सुरक्षा की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो संदेश के माध्यम से राज्यवासियों से अपील की कि वे इस एप को अधिक से अधिक संख्या में डाउनलोड करें। उन्होंने कहा कि भूकंप की संवेदनशीलता के हिसाब उत्तराखंड जोन चार व पांच के अंतर्गत है। ऐसे में सभी नागरिकों को जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है।आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि भूकंप का अलर्ट प्रदान करने के उद्देश्य से यह एप विकसित किया गया है। इसके लिए राज्य में अलग-अलग स्थानों पर 169 सेंसर लगाए गए हैं