शीतकाल के लिए बन्द हुए केदारनाथ के कपाट

रुद्रप्रयाग। भाई दूज पर आज केदारनाथ धाम के कपाट पूरे विधि-विधान संग जयघोषों के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच बाबा की पंचमुखी विग्रह मूर्ति शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए डोली में प्रस्थान कर गई। अब अगले छह माह बाबा के दर्शन नए डेरे ओंकारेश्वर मंदिर में ही होंगे। CM पुष्कर सिंह धामी ने सफल यात्रा के लिए सभी का और स्थानीय कारोबारियों व तीर्थ-पुरोहितों ने मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया।रविवार भोर काल में बाबा केदारनाथ मंदिर खुलने के बाद 4 बजे से कपाट बंद करने की  समाधि पूजन प्रक्रिया शुरू हुई। मुख्य पुजारी भीम शंकर लिंग ने भगवान केदारनाथ के स्यंभू ज्योर्तिलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि रूप दिया। ज्योर्तिलिंग को  बाघांबर, भृंगराज फूल,भस्म, स्थानीय शुष्क फूलों-पत्तों से ढंक दिया गया। भकुंट भैरव नाथ के आह्वान संग गर्भगृह तथा मुख्य द्वार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में बंद किया गया। पूरब द्वार को भी सीलबंद किया गया। कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया था। सैकड़ों तीर्थयात्री  कपाट बंद होने के गवाह बने। इस दौरान सेना के भक्तिमय धुनों के साथ जय श्री केदार तथा ऊं नम् शिवाय के उदघोष से केदारनाथ गूंज उठा। भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली तीर्थयात्रियों के साथ सेना के बैंड बाजों के साथ पैदल प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान हुई।

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